भारतीय कुश्ती के दिग्गज खिलाड़ी विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया ने 6 सितंबर 2024 को कांग्रेस में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा। दोनों पहलवानों ने दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की। यह कदम हरियाणा में आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि इन दोनों का जुड़ना कांग्रेस को नई मजबूती प्रदान कर सकता है। विनेश और बजरंग के कांग्रेस से जुड़ने की अटकलें पहले से ही लगाई जा रही थीं, जो अब सच साबित हो गई हैं।
विनेश फोगाट ने क्या कहा?
कांग्रेस जॉइन करने के बाद विनेश फोगाट ने कहा, “यह मेरे लिए गर्व का क्षण है। खेल के मैदान में जिस तरह मैंने कभी हार नहीं मानी, उसी तरह राजनीति में भी पूरी ईमानदारी और समर्पण से काम करूंगी। मैं अपनी बहनों के साथ हमेशा खड़ी रहूंगी और खिलाड़ियों के हितों की आवाज़ बनूंगी।”
विनेश ने यह भी कहा कि जब वह और अन्य महिला पहलवान जंतर-मंतर पर विरोध प्रदर्शन कर रही थीं, तब केवल कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल ही उनके समर्थन में खड़े थे, जबकि भाजपा ने उनकी मदद नहीं की। उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस महिला अधिकारों और सम्मान के लिए प्रतिबद्ध है, और वह इस पार्टी के साथ मिलकर महिलाओं की आवाज़ को बुलंद करेंगी।
बजरंग पुनिया का कांग्रेस में शामिल होना
बजरंग पुनिया, जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था, ने भी कांग्रेस में शामिल होने के बाद अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि जब पहलवान जंतर-मंतर पर विरोध कर रहे थे, तब केवल भाजपा उनके खिलाफ खड़ी थी, जबकि अन्य सभी दल उनका समर्थन कर रहे थे। बजरंग ने कहा, “हम देश के हित में काम करेंगे और अन्याय के खिलाफ खड़े रहेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनके राजनीति में आने का मकसद सिर्फ़ सत्ता प्राप्त करना नहीं है, बल्कि देश और समाज की सेवा करना है। बजरंग ने यह स्पष्ट किया कि वह राजनीति के माध्यम से समाज में बदलाव लाने के लिए आए हैं और कांग्रेस के साथ मिलकर काम करेंगे।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में संभावित भूमिका
हरियाणा में 5 अक्टूबर 2024 को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, और विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया का कांग्रेस में शामिल होना चुनावी समीकरणों को बदल सकता है। हरियाणा की राजनीति में इन दोनों की लोकप्रियता का बड़ा असर हो सकता है, खासकर ग्रामीण और युवा मतदाताओं पर।
कांग्रेस को उम्मीद है कि विनेश और बजरंग का जुड़ना पार्टी के लिए फायदेमंद साबित होगा। हालांकि, अभी यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि इन दोनों में से किसे टिकट दिया जाएगा, लेकिन राजनीतिक पंडितों का मानना है कि कांग्रेस उन्हें चुनावी मैदान में उतार सकती है। दोनों पहलवानों का राजनीति में आना और हरियाणा चुनाव में सक्रिय भूमिका निभाना, कांग्रेस के लिए एक बड़ा दांव हो सकता है।
विनेश फोगाट: खेल से राजनीति तक का सफर
विनेश फोगाट, जो फोगाट परिवार की कुश्ती विरासत को आगे बढ़ाने वाली प्रमुख खिलाड़ी हैं, ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने राष्ट्रमंडल खेलों में तीन स्वर्ण पदक, एशियाई खेलों में स्वर्ण और विश्व चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीते हैं। पेरिस ओलंपिक में वजन बढ़ने के कारण अयोग्य ठहराए जाने के बाद, विनेश ने कुश्ती से संन्यास ले लिया था। अब, वह राजनीति में आकर समाज और देश की सेवा करने के उद्देश्य से कांग्रेस में शामिल हुई हैं।
विनेश का कहना है कि खेल के मैदान में उन्होंने जो संघर्ष किया, वही संघर्ष वह राजनीति के क्षेत्र में भी करेंगी। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के प्रति पूर्ण समर्पण का वादा किया और कहा कि वह महिला अधिकारों की लड़ाई में कांग्रेस का मजबूत चेहरा बनेंगी।
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बजरंग पुनिया का राजनीतिक सफर
बजरंग पुनिया, जिन्होंने चार बार विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में पदक जीता है, अब राजनीति में अपनी नई पारी शुरू कर चुके हैं। बजरंग का कहना है कि उनका राजनीति में आना समाज की सेवा के लिए है। उन्होंने कहा कि जब वह पहलवानों के समर्थन में जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रहे थे, तब कांग्रेस उनके साथ खड़ी थी।
बजरंग ने यह भी कहा कि वह राजनीति में केवल सत्ता के लिए नहीं आए हैं, बल्कि समाज और देश के हित में काम करने के लिए कांग्रेस के साथ जुड़ रहे हैं।
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कांग्रेस में शामिल होने के बाद राजनीतिक समीकरण
विनेश फोगाट और बजरंग पुनिया के कांग्रेस में शामिल होने से हरियाणा की राजनीतिक स्थिति पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। दोनों पहलवान हरियाणा के ग्रामीण क्षेत्रों में खासे लोकप्रिय हैं, और उनका कांग्रेस से जुड़ना चुनावी समीकरणों को बदल सकता है।
विनेश और बजरंग के राजनीति में आने से कांग्रेस को न केवल हरियाणा में बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी एक मजबूत खेल-केंद्रित छवि बनाने का मौका मिलेगा। अब देखना यह है कि आगामी विधानसभा चुनावों में इन दोनों पहलवानों का प्रदर्शन कैसा रहता है और क्या ये कांग्रेस के लिए चुनावी जीत का सूत्रधार बन सकते हैं।
8 अक्टूबर को चुनाव परिणामों के बाद ही पता चलेगा कि विनेश और बजरंग की राजनीतिक पारी कितनी सफल होती है, लेकिन इतना तय है कि इनका राजनीति में आना हरियाणा और देश की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ सकता है।